कानून मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल ने पिछले दिनों लोकसभा को बताया कि देश की अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले पेंडिंग है और अदालते भरी भारी बैकलॉग से जूझ रही हैं, जिनमें से 80,000 अकेले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
मंत्री मेघवाल ने एक लिखित उत्तर में बताया कि 1 दिसंबर तक, चौंका देने वाले 5,08,85,856 लंबित मामलों में से 61 लाख से अधिक मामले देश भर के 25 उच्च न्यायालयों के स्तर पर दर्ज किए गए थे। इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि कुल 4.46 करोड़ से अधिक लंबित मामलों का बड़ा हिस्सा जिला और अधीनस्थ अदालतों के बीच वितरित किया गया था।
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 26,568 है। इनमें से उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 1,114 है।
जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25,420 है।
सुप्रीम कोर्ट की वेब साइट के अनुसार इस साल सुप्रीम कोर्ट ने 98 % मुकदमो का निस्तारण कर दिया। इस साल सुप्रीम कोर्ट में 52787 मुकदमे पेश हुए तथा सुप्रीम कोर्ट ने 52197 मुकदमो का निस्तारण किया।
सुप्रीम कोर्ट में 34 जज काम करते है और एक बेंच में दो जज बैठते है, इस हिसाब से हर जज ने इस साल करीब 1535 और बेंच ने औसतन 3070 मुकदमो का निस्तारण किया है।
सुप्रीम कोर्ट एक साल में करीब 190 दिन काम करता है इस हिसाब से हर बेंच ने करीब 16 से ज्यादा मुकदमो का निस्तारण किया है।
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