GST और कस्टम्स एक्ट में CRPC लागु होगी - अग्रिम जमानत भी संभव

GST और कस्टम्स एक्ट में CRPC लागु होगी - अग्रिम जमानत भी संभव

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (27 फरवरी) को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) अधिनियम और कस्टम्स अधिनियम के तहत गिरफ्तारी के अधिकारों पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व में दंड प्रक्रिया संहिता - CrPC) के तहत आरोपी व्यक्तियों के अधिकार, GST और कस्टम्स अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारियों पर भी समान रूप से लागू होंगे।

गिरफ्तारी के लिए "कारणों का विश्वास" आवश्यक

अदालत ने अरविंद केजरीवाल मामले में दिए गए फैसले को लागू करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19(1) और कस्टम्स अधिनियम की धारा 104 में कोई विशेष अंतर नहीं है। इन दोनों ही प्रावधानों में गिरफ्तारी के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी सिद्धांत को GST अधिनियम के गिरफ्तारी प्रावधानों पर भी लागू किया।

अग्रिम जमानत का अधिकार भी लागू

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि GST और कस्टम्स अधिनियम के तहत भी अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) का प्रावधान लागू होगा। यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी की आशंका है, तो वह एफआईआर दर्ज होने से पहले भी अदालत से अग्रिम जमानत की मांग कर सकता है।

गिरफ्तारी से पहले ठोस प्रमाण आवश्यक

फैसले में यह भी कहा गया कि:

  1. GST अधिनियम के तहत कोई निजी शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती।
  2. सिर्फ संदेह के आधार पर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती।
  3. GST और कस्टम्स अधिकारियों के पास गिरफ्तारी से पहले प्रमाणित करने योग्य ठोस सामग्री होनी चाहिए, जिसे मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित किया जा सके।

कर अधिकारियों की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि GST अधिकारियों द्वारा करदाताओं पर कर भुगतान के लिए दबाव डालने और डराने-धमकाने के आरोपों में कुछ सच्चाई हो सकती है। अदालत ने कहा कि "यदि कोई व्यक्ति जबरन कर चुकाने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वह रिट याचिका दायर कर राहत प्राप्त कर सकता है, और संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए"।

नागरिक स्वतंत्रता को मजबूत करने की जरूरत

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि GST अधिनियम की धारा 69 (गिरफ्तारी के अधिकार) में अस्पष्टता है और अदालत कानून की व्याख्या इस तरह करेगी कि नागरिक स्वतंत्रता मजबूत हो। साथ ही, अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि गिरफ्तारी और जांच दो अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं, और हर मामले में गिरफ्तारी आवश्यक नहीं होती।

फैसले के कानूनी और व्यावसायिक प्रभाव

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद GST और कस्टम्स मामलों में अनावश्यक गिरफ्तारियों पर रोक लगने की संभावना है। यह व्यापारियों और उद्योग जगत के लिए राहतभरी खबर हो सकती है, क्योंकि कई मामलों में अधिकारियों पर मनमाने तरीके से गिरफ्तारी करने के आरोप लगते रहे हैं।

इस फैसले ने कराधान कानूनों और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है, जिससे देश में व्यापार और कराधान प्रणाली को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जा सके।

Radhika Agarwal v. Union of India and Ors., W.P.(Crl.) No. 336/2018 

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