राजधानी दिल्ली में सोमवार से इंटरपोल की 90वीं महासभा का आयोजन हो रहा है। दिल्ली में यह मीटिंग 18 -21 अक्टूबर तक होगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अक्टूबर को दोपहर 1. 45 बजे दिल्ली के प्रगति मैदान में इंटरपोल महासभा को संबोधित किया। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इस इनमें मंत्री, देशों के पुलिस प्रमुख, राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के प्रमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी समेत 2 हजार से अधिक लोग शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 90वीं इंटरपोल महासभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह समय भारत और इंटरपोल दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत 2022 में आजादी के 75 साल मना रहा है। यह हमारी संस्कृति, लोगों और उपलब्धियों का उत्सव है। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि आतंक के खिलाफ विश्व को एकजुट होना होगा।
दुनियभर में आपराधिक गठजोड़ मजबूत हो रहा है ऐसे में यह इंटरपोल की मीटिंग बहुत खास है। बैठक में दुनियाभर के करीब 194 देश अपने आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाले अपराधियों और ऐसे संगठनों के खिलाफ ऐक्शन को लेकर सामूहिक रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे। बैठक में वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार के विभिन्न बिन्दुओ पर चर्चा की जाएगी। महासभा इंटरपोल की सबसे बड़ी जनरल बॉडी है। संगठन की तरफ से महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए साल में एक बार यह बैठक होती है। बैठक में इंटरपोल के कामकाज की समीक्षा की जाएगी।
इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है जिसकी स्थापना 1923 में हुई थी। इसमें 194 देश शामिल हैं। भारत ने 1949 में इसकी सदस्यता ली थी। भारत में इंटरपोल से तालमेल की जिम्मेदारी सीबीआई को दी गई है। सीबीआई, इंटरपोल और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है। देश में 25 साल बाद इस महासभा का आयोजन हो रहा है। इससे पहले 1997 में यह बैठक हुई थी।
महासभा में भाग लेने वाले सदस्यों के साथ दुनिया भर में हो रहे नए-नए अपराध के तरीकों और उनसे निपटने पर चर्चा की जाएगी। इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक के अनुसार इंटरपोल का ध्यान साइबर अपराधियों, मादक पदार्थ के सौदागरों और बाल शोषण करने वालों पर अंकुश लगाने पर है। उन्होंने कहा कि हम मुख्य रूप से हमारे संविधान के अनुसार, सामान्य कानून अपराध पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। स्टॉक का कहना है कि हम बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, अरबों पैसा कमाने की चाहत रखने वाले मादक पदार्थ सौदागरों और साइबर अपराधियों के खिलाफ काम कर रहे हैं। इस पर इंटरपोल का मुख्य ध्यान है। दुनिया भर में ज्यादातर यही अपराध होते हैं। इसलिए इंटरपोल मौजूद है। ऐसे में जो क्रिमिनल नार्को टेररिज्म, इस तरह के अपराध कर विदेशों में बैठे हैं उनके लिए मुश्किल होने वाली है।
स्टॉक का कहना है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन कोई भूमिका नहीं निभाता है। स्टॉक ने कहा कि हम इस संबंध में बहुत विशिष्ट और ठोस भूमिका नहीं निभा रहे हैं। अगर कोई राज्य प्रायोजित गतिविधि है तो इंटरपोल इसके संबंध में कोई काम नहीं कर रहा है।
इंटरपोल द्वारा जारी रेड नोटिस क्या है इसके बारे में स्टॉक ने कहा, "रेड नोटिस कोई अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को रेड नोटिस से संबंधित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। किसी मामले के गुण-दोष में जाना या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय को सही-गलत मानना इंटरपोल का काम नहीं है। यह प्रत्येक देश में संप्रभु मामला होता है। स्टॉक ने कहा कि इंटरपोल मामले के राजनीतिक, सैन्य, धार्मिक या नस्ली प्रकार का होने पर रेड नोटिस जारी नहीं कर सकता।"
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